यहां कन्याएं खेलती हैं दूल्हा-लाडी के रूप में गणगौर, यह है अनोखी परंपरा
करौली. होली के बाद आने वाला गणगौर का त्योहार राजस्थान की संस्कृति का सबसे खास और महिलाओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है. पंचांग के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है. खासकर राजस्थान में इस त्यौहार का प्रचलन सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. बात की जाए राजस्थान के करौली की तो यहां इस त्यौहार को लेकर सुहागिन और कुंवारी बालिकाओं में विशेष उत्साह नजर आता है. यहां पर महिलाएं होली के दूसरे दिन से ही गणगौर खेलना और गणगौर माता का विधिवत पूजन करना शुरू कर देती है.16 दिन तक गणगौर का त्योहार धूमधाम के साथ समूह में इकट्ठा होकर मनाती हैं. लेकिन गणगौर के अवसर पर सुहागिन औरकुंवारी कन्याओं को तो आपने गणगौर खेलते हुए देखा होगा. लेकिन धार्मिक नगरी करौली में छोटी-छोटी कन्याएं दूल्हे-लाडी के स्वरूप में घर-घर गणगौर खेलती है. यहां के स्थानीय लोग छोटी-छोटी कन्याओं के इस स्वरूप को शिव पार्वती का स्वरूप मानते हैं. आइए जानते हैं इस अनोखी परंपरा के बारे में. धार्मिक नगरी करौली में आज भी गणगौर के अवसर पर छोटी-छोटी बालिकाएं समूह में इकट्ठा होकर और सज धज कर दूल्ह...